महिलाओं पर बढ़ती हिंसा के खिलाफ ऐपवा का प्रदर्शन
20 अगस्त 2019. उत्तर प्रदेश में महिलाओं, बच्चियों, दलितों, आदिवासियों व अल्पसंख्यकों पर हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही है और भीड़ हत्या की भी घटनाएं बढ़ रही है, जिसे रोकने में योगी सरकार नाकाम हो रही है. लेकिन दूसरी तरफ जो भी लोग इन घटनाओं के खिलाफ बोल रहे है उनके साथ तानाशाही रवैया अपनाते हुए उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, जिसकी ऐपवा निंदा करती है और मांग करती है कि महिलाओं पर बढ़ते दमन हिंसा की घटनाओं पर तत्काल रोक लगाई जाय। ऐपवा पूरे उत्तर प्रदेश में 20 अगस्त को एक साथ विरोध प्रदर्शन कर रही है.
इस ज्ञापन के माध्यम से ऐपवा महिला अधिकारों से सम्बन्धित मांगों पर ध्यान आकृष्ट करना चाहती है-
1. ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन पर मेघालय के राज्यपाल तथागत राय द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी की हम कड़े शब्दों में निंदा करते है और मांग करते है कि वे इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।
2. विगत 17 जुलाई को सोनभद्र नरसंहार जिसमें 3 महिलाओं समेत 10 आदिवासियों की हत्या कर दी गई। मुख्यमंत्री योगी के राज में यह आदिवासियों पर बड़ी घटना है और उनके कानून के राज का पर्दाफाश करती है। ऐपवा इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग करती है। घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी करती हैं। सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली समेत पूरे देश मे जहां भी आदिवासी, दलित रहते है वो जमीन उनके नाम की जाय. ऐपवा आदिवासियों को उजाड़ने की कड़ी निंदा करती है।
3. उन्नाव की बलात्कार पीड़िता आज भी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही हैं। ऐपवा उन्नाव पीड़िता के अतिशीघ्र स्वस्थ होने की कामना के साथ बलात्कार के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर मुकदमा चलाकर कड़ी से कड़ी सजा की मांग करती हैं।
4. मुज्जफरपुर और सहारनपुर दंगो में दोषी भाजपा विधायक संगीत सोम पर से सभी आपराधिक मुकदमें वापस लेने व योगी सरकार द्वारा दोषी विधायक का संरक्षण करने की ऐपवा कड़ी निंदा है और मांग करती है कि विधायक संगीत सोम पर फास्टट्रैक कोर्ट में केस चलाकर कड़ी सजा की गारंटी की जाए।
5. हाल ही में लखनऊ में कश्मीर की जनता के सवालों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे नेताओं को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। ऐपवा मोदी सरकार के इस तानाशाही रवैये की कड़ी निंदा करती है- शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है कोई भी सरकार अपने नागरिकों की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला नहीं कर सकती यह गैर संवैधानिक है।
6. हाल ही में मोदी सरकार ने रेलवे के 7 कारखानों के निजीकरण का फैसला लिया है। जिसमें बनारस का डीएलडब्लू कारख़ाना भी शामिल है। ऐपवा मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ है और हम मांग करते है कि रेलवे समेत 7 कारखानों का मोदी सरकार निजीकरण करना बन्द करे।
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