कॉ. कुंती देवी: एक छवि

भाकपा-माले के दिवंगत महासचिव कामरेड विनोद मिश्र अक्सर कहा करते थे - "दिल्ली का रास्ता जहानाबाद से होकर जाता है।" पिछले साल मई माह के आखिरी हफ्ते मैं जहानाबाद में ही था। इस दौरान मैंने नोन्ही-नगवां, दमुहाँ-खगड़ी और इस्से बिगहा नाम के गांव-टोलों की यात्रा की, मगही-उर्दू के शायर वसी अहमद 'तालिब' की रचनाओं को हासिल किया और साथ ही का. कुंती देवी से एक संक्षिप्त बातचीत भी की। का. कुंती देवी अभी हो रहे जहानाबाद विधान सभा उपचुनाव में भाकपा-माले की प्रत्याशी हैं। वे इस जिले में पिछले 40-42 वर्षों से जारी भूमिहीन दलित गरीबोँ के आंदोलन का एक मजबूत स्तंभ भी हैं। कुंती बिहार में महिलाओं के आंदोलन का वह चेहरा हैं जो इस आंदोलन की कई विशिष्टताओं को उजागर करता है। जहानाबाद शहर से पश्चिम करीब 3 मील की दूरी पर है इस्से बिगहा गांव। गांव के प्रवेश मार्ग पर एक स्मारक है। एक शहीद स्तंभ जिसकी पृष्ठभूमि में ताड़ का एक खूबसूरत पेड़ है। बच्चा पेड़ हर साल लपकते हुए बड़ा होता जाता है। स्तंभ पर करीब दो दर्जन से अधिक शहीदों के नाम दर्ज हैं। बिंद व कहार अतिपिछड़ी जातियों की आबादी वाल