ईरानी औरतों की कहानियां

मेरे बालिग होने में थोड़ा वक्त है ईरानी फिल्मकार मर्जियेह मेश्किनी ने एक दूसरे बहुत मशहूर फिल्मकार मोहसेन मखलमबाफ की स्क्रिप्ट के सहारे तीन लघु कथा फिल्मों के जरिये ईरानी समाज में औरतों की दुनिया को बहुत संजीदगी से समझने की कोशिश की है. इस कथा श्रृंखला का नाम है द डे व्हेन आइ बीकेम अ वुमन यानि वह दिन जब मैं औरत बनी . इस श्रृंखला की तीन फिल्में हैं - हवा, आहू और हूरा. तीनों क्रमशः बचपन, युवावस्था और बुढ़ापे के काल को अपनी कहानी में समेटने की कोशिश करती हैं. हम सबसे पहले हवा की कहानी से इस समाज को जानने की कोशिश करते हैं. यह फिल्म नौ साल की उम्र पर कुछ ही घंटों में पहुंचने वाली मासूम बच्ची हवा और उसके अनाथ दोस्त हसन की कहानी है. हवा की हसन के साथ खूब जमती है और फिल्म की शुरुआत ही उसके इस असरार से होती है कि उसे हसन के साथ खेलने जाना है. इस असरार में थोड़ी दूरी पर खड़ा हसन भी है. हवा की दोस्ती की मस्ती में कुछ देर के लिए व्यतिक्रम आता है जब उसकी दादी उसके नौ साल के होने पर आजादी से खेलने पर रोक लगा देती है और हवा से कहती है कि अब उसे औरतों की तरह पेश आना होगा. मासूम हवा के लिए