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Showing posts from May, 2018

‘देह ही देश’

पुस्तक समीक्षा  कुछ किताबें इस कदर झकझोर देती हैं कि आप अपनी अधूरी समझ और टूटी-फूटी भाषा के साथ ही कुछ कहने, लिखने को मजबूर हो जाते हैं. ऐसी ही एक किताब है ‘देह ही देश’. यह किताब लेखिका गरिमा श्रीवास्तव की डायरी है जो क्रोएशिया प्रवास से लौटकर वहां लिए गए लोंगों के साक्षात्कार के आधार पर लिखी गयी है. छोटे-छोटे देशों का समूह यूगोस्लाविया, गृहयुद्ध के दौरान पांच छोटे-छोटे भागों में विभाजित हो गया. क्रोएशिया, यूगोस्लाविया से अलग हुआ छोटा सा देश है, जिसकी त्रासद गाथा इस डायरी में दर्ज है. सर्विया की जनता, जो क्रोएशिया से मैत्रीपूर्ण और वैवाहिक संबंधों से जुड़ी हुयी थी, को अमरीका की आर्थिक पाबंदियों और नाटो की बमबारी ने तबाह कर दिया. फिर शुरू हुआ आपसी युद्ध जो सर्विया ने क्रोएशिया और बोस्निया से लड़ा-. सर्विया के राष्ट्रपति मिलोसोबिच की कूटनीति की शिकार वहां की जनता और सेना ने उनके मंसूबे को नहीं मसझा और उग्र राष्ट्रवादी एजेंडे पर चल पड़ी, जिसमें एक ही नस्ल सिर्फ ‘सर्बों’ के लिए जगह की संकल्पना थी.और शुरू हुआ क्रोएशिया और बोस्नियाई लोगों का संहार. एक भीषण युद्ध जो क्रोशिया और बोस्

मानवाधिकार और स्त्रियों पर सांप्रदायिक हिंसा

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद मानवाधिकार के लिए आवाजें उठनी शुरू हुईं, तब मानवाधिकार आयोग अस्तित्व में आए. मानवाधिकार संधि दोनों पक्षों के व्यक्तियों और समूहों द्वारा आयोजित पक्ष को संरक्षण प्रदान करती है. इसके साथ हिंसा को पूरी तरह से खत्म करने में सरकारों और अन्य एजेंसियों की आवश्यकता भी होती है. कई देशों की सरकारें इन संधियों के प्रति नकारात्मक भावना रखती हैं. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नरसंहार के खिलाफ कानूनी सुरक्षा सबसे प्रमुख आवश्यकता है. मानवाधिकार मानदंडों के अनुसार दुनिया के सभी देशों की सरकारों को हिंसा से परहेज करने और इसके खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया जाता रहा है. सांप्रदायिकता भारत के सार्वजनिक जीवन में एक व्यापक दोष की तरह है और सांप्रदायिक हिंसा इसकी एक बेहद खराब अभिव्यक्ति. सांप्रदायिक हिंसा से किसी भी देश के इतिहास में बेहद विनाशकारी परिणाम हुए हैं. आजादी के वर्षों बाद भी अल्पसंख्यक स्त्रियों को चपेट में लेने वाली सांप्रदायिक हिंसा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आयी है. संसार भर के किसी भी देश में जरा सी सांप्रदायिक हलचल होते ही उस देश में रहने वाली महिलाओं पर मु