‘देह ही देश’
पुस्तक समीक्षा कुछ किताबें इस कदर झकझोर देती हैं कि आप अपनी अधूरी समझ और टूटी-फूटी भाषा के साथ ही कुछ कहने, लिखने को मजबूर हो जाते हैं. ऐसी ही एक किताब है ‘देह ही देश’. यह किताब लेखिका गरिमा श्रीवास्तव की डायरी है जो क्रोएशिया प्रवास से लौटकर वहां लिए गए लोंगों के साक्षात्कार के आधार पर लिखी गयी है. छोटे-छोटे देशों का समूह यूगोस्लाविया, गृहयुद्ध के दौरान पांच छोटे-छोटे भागों में विभाजित हो गया. क्रोएशिया, यूगोस्लाविया से अलग हुआ छोटा सा देश है, जिसकी त्रासद गाथा इस डायरी में दर्ज है. सर्विया की जनता, जो क्रोएशिया से मैत्रीपूर्ण और वैवाहिक संबंधों से जुड़ी हुयी थी, को अमरीका की आर्थिक पाबंदियों और नाटो की बमबारी ने तबाह कर दिया. फिर शुरू हुआ आपसी युद्ध जो सर्विया ने क्रोएशिया और बोस्निया से लड़ा-. सर्विया के राष्ट्रपति मिलोसोबिच की कूटनीति की शिकार वहां की जनता और सेना ने उनके मंसूबे को नहीं मसझा और उग्र राष्ट्रवादी एजेंडे पर चल पड़ी, जिसमें एक ही नस्ल सिर्फ ‘सर्बों’ के लिए जगह की संकल्पना थी.और शुरू हुआ क्रोएशिया और बोस्नियाई लोगों का संहार. एक भीषण युद्ध जो क्रोशिया और बोस्