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Showing posts from 2018

संजलि के न्याय के लिए बनारस में प्रतिरोध मार्च

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आगरा की दलित छात्रा संजलि के न्याय के लिए बनारस के तरक्कीपसन्द - अवामपसन्द संगठनों ने बीएचयू गेट लंका से रविदास गेट तक प्रतिरोध मार्च निकालकर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। सभा में संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश में लगातार हो रही हत्याओं और यौन हिंसा की घटनाओं को रोकने असफल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की.   सभा की अध्यक्षता कर रहे प्रो. चौथीराम यादव ने कहा कि प्रदेश की जनता में भय का माहौल बनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में कानून के राज की जगह जंगलराज कायम हो रहा है। बीएचयू के प्रो एम.पी. सिंह ने कहा भारतीय संस्कृति में निहित पितृसत्तात्मक, ब्राह्मणवादी महिला विरोधी मूल्यों को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि 10वीं की दलित छात्रा संजलि को दिन दहाड़े पेट्रोल छिड़ककर जला दिया जाता है और आज तक उनके हत्यारे गिरफ्तार नहीं किये जाते, इससे पता चलता है कि मौजूदा सरकार में अपराधियों के मनोबल बढ़े है और भाजपा सरकार तमाशबीन बनी हुई है। ऐपवा की कुसुम वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ की बात कर रही है लेकिन इनके राज में न तो बेटियां पढ़ पा रही हैं और न ही सु

मासूम संजलि को न्याय दिलाने के लिए विभिन्न जनसंगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन

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लखनऊ. आगरा में मासूम अंजलि की पेट्रोल से जलाकर की गई निर्मम हत्या की गूंज आज लखनऊ में सुनाई पड़ी। विभिन्न महिला संगठनों और आवाम पसंद लोगों ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए अम्बेडकर प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने इस मामले में सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रदेश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं के नाम पर ढोंग किया जा रहा है। प्रदेश में कहीं भी बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं और उनकी पढाई-लिखाई तो दूर सामान्य रूप से कहीं आना जाना भी मुश्किल गया है। विभिन्न जनसंगठनों ने संयुक्त धरना-प्रदर्शन के माध्यम से दसवी की छात्रा संजलि के साथ हुई नृशंष घटना पर अपना विरोध प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने मासूम संजलि  को श्रद्धांजलि  अर्पित करते हुए कहा कि प्रदेश में जंगलराज कायम हो गया है। लूट, हत्या, बलात्कार की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। हर तरफ अपराध और अत्याचारों की बाढ़ आ गई है, जबकि सरकार गाय और हनुमान से आगे बढ़ने को तैयार ही नहीं दिखती। लोगों ने कहा कि उनका विरोध प्रदर्शन संजलि के हत्यारों की गिरफ्तारी के साथ उनके  परिवार को न्याय दिलाये जाने तक जारी रहेगा। इस अवसर पर विभि

‘मीटू’: श्रमिक औरतों की कहानी

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हालांकि ‘मीटू’ आन्दोलन हाल ही में शुरू हुआ है, लेकिन हिंदुस्तान में यह नयी बात नहीं है. यौन उत्पीड़न के खिलाफ़ लड़ाई तब शुरू हुई थी जब राजस्थान के एक गाँव की साथिन भंवरी देवी पर इसलिए बलात्कार हुआ क्योंकि वह बाल विवाह को रोकने का अपना काम कर रही थीं. श्रमिक वर्ग की हर महिला के पास एक मीटू की कहानी है. नौकरी जाने का खतरा, कम वेतन - जिस पर उनका पूरा परिवार जीता है, कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं और उसपर जातिगत और वर्गीय हिंसा. इन वजहों से औरतें खुद पर हुए यौन उत्पीड़न के बारे में नहीं बता पाती. ‘मीटू’ आन्दोलन का नेतृत्व कोई एक महिला नहीं कर रही. इसमें भाग ले रही महिलाएं जिन्होंने खुदपर हमला करने वालों का खुलासा किया है, वे सब इसे अपना आन्दोलन मानती हैं. इसमें यौन उत्पीड़न के खिलाफ़ महिलाओं ने असाधारण एकता दिखाकर उसकी पोल खोली है. यह आन्दोलन उन झूठे दावों को भी ख़ारिज करती है जिनमें कहा जाता है कि औरतों का उत्पीड़न इस वजह से होता है क्योंकि वे कम कपड़े पहनती हैं, क्योंकि वे पुरुषों को रिझाती हैं, क्योंकि उनका चरित्र अच्छा नहीं होता, क्योंकि वे ही ऐसा चाहती थीं, वगैरह. यह आन्दोलन हमें दिखाता

झारखंड में महिला उत्पीड़न के विरोध में कार्यक्रम

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यों तो महिला उत्पीड़न की घटनाओं के मामले में, खासकर भाजपा सरकार बनने के बाद से, झारखंड हमेशा सुर्खियों में रहता आया है, पर हाल के अरसे में तो लगता है कि विभिन्न किस्म की महिला उत्पीड़न की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है. हर मामले में अपराधियों को बचाने में भाजपा नेताओं और पुलिस की मिलीभगत भी सामने आ रही है जिसकी वजह से अपराधी कहीं पकड़े नहीं जा रहे हैं. भाकपा(माले) ने ऐसे हर मामले में पहलकदमी ली है और शासक भाजपा व प्रशासन को बेनकाब करते हुए अपराधियों को कठघरे में खींच लाने के लिये संघर्ष चलाया है. गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड में एक नाबालिग आदिवासी छात्र के साथ दो युवकों ने बलात्कार किया लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते दो दिनों तक दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई. इसके विरोध में दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग को लेकर भाकपा(माले) ने 31 अक्टूबर 2018 को तिसरी बंद आयोजित किया और प्रतिवाद मार्च निकाला. धनवार के भाकपा(माले) विधायक का. राजकुमार यादव के नेतृत्व में प्रतिवाद मार्च तिसरी के गंभरिया टांड़ से निकलकर थाना होते हुए तिसरी चौक पहुंचा जहां नुक्कड़ सभा हुई. प्रतिवाद मार्च में सैकड

बिहार में लड़कियों के जुझारू आन्दोलन की धमक

पटना के आईएमए हाॅल में 29 अक्टूबर को आइसा व ऐपवा की ओर से छात्रा संवाद का आयोजन हुआ जिसमें बिहार के विभिन्न जिलों से छात्राओं ने हिस्सा लिया और अपने मन की बातें कहीं. छात्रा संवाद में छात्राओं ने पढ़ने-लिखने और हर प्रकार की आजादी की मांग उठाई. 

आशा का तीसरा बिहार राज्य सम्मेलन सम्पन्न

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★आशा सहित सभी स्कीम वर्करों को आधुनिक गुलाम बनाने वाली मोदी नीतीश सरकार को चुनाव में धूल चटाने, 8-9 जनवरी को देशव्यापी दो दिवसीय आम हड़ताल को सफल बनाने के आह्वान के साथ आशा संघ का तीसरा राज्य सम्मेलन संपन्न. ★आशा को सरकारी कर्मी का दर्जा देने, 18000 मानदेय लागू करने की मांग पर 1 दिसंबर से अनिश्चितकालीन राज्यव्यापी हड़ताल से मोदी-नीतीश के खिलाफ होगी आर पार की लड़ाई. ★ आशा कार्यकर्ता संघ के तीसरे राज्य सम्मेलन से शशि यादव अध्यक्ष, विद्यावती पांडे महासचिव चुनी गयी, 15 सदस्यीय पदाधिकारी में पांच उपाध्यक्ष, 5 सचिव, अनीता देवी कोषाध्यक्ष चुनी गयी । आशा को सरकारी सेवक का दर्जा दो, 18000 मानदेय लागू करो के नारा पर महासंघ गोप गुट व ऐक्टू से संबद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ का आहूत तीसरा राज्य सम्मेलन आशा सहित सभी स्कीम वर्करों को आधुनिक गुलाम बनाने वाली मोदी- नीतीश सरकार को आगामी चुनाव में धूल चटाने , 1 दिसंबर से राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल से मोदी- नीतीश के खिलाफ आर-पार की लड़ाई शुरू करने तथा 8 -9 जनवरी 19 को देशव्यापी दो दिवसीय आम हड़ताल को सफल बनाने के आह्वान के साथ आज

छात्रा संवाद में छात्राओं ने कहा – हमें चाहिए पढ़ने-लिखने और अपने मन की आजादी

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आइसा व ऐपवा द्वारा आयोजित छात्रा संवाद में पूरे बिहार से सैंकड़ों लड़कियों का हुआ जुटान.  ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, पटना विवि इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. भारती एस कुमार, जेएनयू छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव ने छात्रा संवाद को किया संबोधित. पटना के आईएमए हाॅल में 29 अक्टूबर को आइसा व ऐपवा की ओर से छात्रा संवाद का आयोजन हुआ जिसमें बिहार के विभिन्न जिलों से तकरीबन 400 छात्राओं ने हिस्सा लिया और अपने मन की बातें कहीं. छात्रा संवाद में छात्राओं ने पढ़ने-लिखने और हर प्रकार की आजादी की मांग उठाई और कहा कि पुराने तरीके से चीजें अब नहीं चलने वाली है. छात्रा संवाद में विश्वविद्यालय की छात्राओं के अलावे बड़ी संख्या में स्कूली छात्रायें भी शामिल हुईं. छात्रा संवाद को मुख्य वक्ता के बतौर ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, पटना पटना विवि इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. भारती एस कुमार, जेएनयू छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव आदि ने संबोधित किया. इनके अलावा वीर कुंवर सिंह विवि की छात्रा श्रेया सिंह, समस्तीपु

HOW MUCH MORE MUST SURVIVORS DO? FEMINIST GROUPS AND INDIVIDUALS STAND IN SOLIDARITY WITH #METOO-IN-THE-MEDIA & FILM INDUSTRIES

Statement on #MeToo in India, signed by many organizations including AIPWA, as well as many individuals. Statement issued on 12-10-2018 It’s almost a year now since the #metoo hashtag broke through whisper networks on sexual harassment and initiated a worldwide movement. While the initial exposés were instances of assault and misogyny by men in high places in Hollywood, subsequent revelations have come in waves from women across the world in various kinds of workplaces – from academia to activism to film and media. These are narratives of women speaking truth to power about the violence and transgressions they have been subjected to by male colleagues and seniors, as well the complicit actions/inactions of institutions and individuals. The power of this moment lies not just in the individual narratives that are being shared, but in the public discourse that is being created. An open challenge to the pervasiveness of a culture that allows men to harass women, intimidate and ex

19 नवंबर को संसद के समक्ष होगा प्रदर्शन

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★सरकारी कर्मी का दर्जा,18000 मानदेय, समान काम समान वेतन सहित 22 सूत्री मांगों पर 5 अक्टूबर से जारी था 5 दिवसीय हड़ताल व दो दिवसीय महाधरना। ★ आधुनिक गुलामी की प्रतीक नियोजन नीति को समाप्ति के लिये मोदी-नीतीश को सत्ता से उखाड़ फेंकने का आह्वान। ★प्रधानमंत्री के नाम सीएम नीतीश को दिया ज्ञापन। बिहार राज़्य विद्यालय रसोइया संघ(ऐक्टू) के आह्वान पर रसोइयों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, समान काम के लिए समान वेतन देने, मानदेय 18000 करने, मध्यान्ह भोजन योजना को एनजीओ के हवाले करने पर रोक,अशोक चौधरी कमिटी की रिपोर्ट की सिफारिशों का लाभ रसोइयों को देने, पार्ट टाइम वर्कर कहने पर रोक, मानदेय का नियमित भुगतान व बारह महीने का मानदेय भुगतान समेत 23 सूत्री मांगों के लिये बिहार में पांच अक्टूबर से रसोइयों का 5 दिवसीय हड़ताल व पटना में दो दिवसीय महाधरना 19 नवंबर को संसद के समक्ष प्रदर्शन की घोषणा के साथ सम्पन्न हो गया। बिहार राज़्य विद्यालय रसोइया संघ(ऐक्टू) अध्यक्ष सरोज चौबे की अध्यक्षता में 9 अक्टूबर को दूसरे दिन शुरू हुए महाधरना में करीब दर्जन भर से अधिक जिलों से करीब दो हज़ार रसोइयों ने

मोदी-नीतीश राज में महिलाओं पर हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति का नतीजा है त्रिवेणीगंज कांड

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11 अक्टूबर को पूरे बिहार में होगा राज्यव्यापी प्रतिवाद स्कूली छात्राओं पर हिंसा के खिलाफ ऐपवा-आइसा-इंसाफ मंच द्वारा चलाया जाएगा जनजागरण अभियान. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने 9 अक्टूबर को पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सुपौल के त्रिवेणीगंज में कस्तूरबा बालिका विद्यालय की छात्राओं पर मुहल्लेवासियों द्वारा संगठित हमला बेहद खौफनाक है. आज ऐसा समय आ गया है कि छेड़खानी करने वाले लफंगों पर कार्रवाई व उन्हें नियंत्रित करने की बजाए मुहल्ले के लोग लड़कियों को ही बर्बरता से पीट रहे हैं. हमारे समाज में यह बिलकुल नई प्रवृत्ति देखने को मिल रही है. आखिर आज ऐसी नौबत क्यों आई? ऐपवा-इंसाफ मंच व आइसा की एक राज्यस्तरीय जांच टीम विगत 8 अक्टूबर को त्रिवेणीगंज गई थी. इस जांच टीम में भाकपा-माले की राज्य कमिटी की सदस्य व ऐपवा की बिहार राज्य सह सचिव सोहिला गुप्ता, इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष नेयाज अहमद व आइसा नेता प्रिंस कुमार कर्ण शामिल थे. संवाददाता सम्मेलन को काॅ. मीना तिवारी, जांच टीम के सदस्यों व आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष मोख्तार ने संबोधित किया. मीना तिव

गंउवा बनाव क्रंतिकरिया, नजरिया खोल ए भईया

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"बेशकीमती हैं हम एक दिन हमारे दुःख  बन जाएंगे दुनिया के अचरज।" 'वुमनिया' एक डाक्यूमेंट्री फ़िल्म है जो विगत 30 सितंबर को बिहार म्यूजियम के ओरिएंटल हॉल में दिखाई गई। यह फ़िल्म 'नारी गुंजन' नाम की एक स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) के द्वारा संचालित किये जानेवाले बिहार के एक महिला बैड 'सरगम' को केंद कर बनाई गई है। बरसों पहले नोट्रेडम संस्था से जुड़कर केरल से बिहार आयी सुधा वर्गीज़ ने 1987 में 'नारी गुंजन' संस्था बनायी। यह संस्था बिहार के कुछ जिलों में दलित-महादलित समुदाय के बीच स्कूलों और स्वयं सहायता समूहों का संचालन करती है। 2013 में पटना से सटे दानापुर के ढिबरा गांव के दलित टोले में नारी गुंजन के स्वयं सहायता ग्रुप से जुड़ी महिलाओं ने यह सरगम बैंड बनाया था। 'वुमनिया' सरगम बैंड की महिलाओं की गाथा है। अपने साथियों व दर्जनों उत्साही दर्शकों के साथ बैठकर मैंने करोड़ों की लागत से बने बिहार म्यूजियम के एक वातानुकूलित हॉल में हो रहे इस फ़िल्म को देखा। अब जबकि इस शीत गृह का दरवाजा बंद हो चुका है, नियोन की दूधिया रोशनी की जगह वहां अंधेरा

Withdraw Ordinance Criminalising Instant Triple Talaq

We are deeply concerned and disturbed at the Central Government’s move to introduce an Ordinance criminalising Instant Triple Talaq.  Why has the Government chosen to bypass a serious debate in Parliament and introduce an ordinance instead?  Desertion following arbitrary and unilateral divorce is a fate that women of all communities in India face - it is not a problem unique to Muslim women. In the case of women of non-Muslim communities, there are civil remedies available in such situations. Why, then, is the Ordinance seeking to criminalise arbitrary and unilateral divorce for Muslim men alone?  If instant triple talaq amounts to domestic violence, Muslim women like women of other communities already have the options of civil remedies under the Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 and criminal remedies under Section 498A of the Indian Penal Code. What then is the need for a separate ordinance and law criminalising instant triple talaq? A Hindu husband ma

महिला हिंसा और उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के सवालों पर हलद्वानी में जोरदार प्रदर्शन

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"बढ़ती महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाने व महिला हिंसा की बढ़ती घटनाओं को मिल रहे राजनीतिक संरक्षण के खिलाफ" अम्बेडकर पार्क, मंगल पड़ाव,हल्द्वानी में "अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा)" द्वारा एक संक्षिप्त सभा का आयोजन किया गया और तत्पश्चात वहां से एस डी एम कार्यालय तक जुलूस निकालकर भारत के माननीय राष्ट्रपति महोदय को महिलाओं के ऊपर बढ़ रहे यौन हिंसा के मामलों पर रोक लगाने समेत महिलाओं की अन्य समस्याओं पर ज्ञापन प्रेषित किया गया। अम्बेडकर पार्क में हुई सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के उत्तराखंड राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, "आज देश के सामने बहुत ही विकट स्थिति है.लव जेहाद और गोरक्षा के नाम पर उत्पीड़न और हिंसा से बढ़ते हुए अब दिल्ली में संसद मार्ग पर संविधान जलाया जा रहा है और बिहार के बिहिया में पुलिस की मौजूदगी में औरत को नग्न कर सड़क पर घुमाया जा रहा है. यही नहीं, आज सत्ता का प्रश्रय पाकर मॉब लिंचिंग गिरोह देश में हर जगह हिंसा और आतंक का माहौल बना रहे हैं और इन गिरोहों की करतूतों के पक्ष में सरकार के बड़े बड़े मंत्री तर्क दे रहे हैंं. स

AIPWA stands in solidarity with the students of HNLU Raipur

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All India Progressive Women's Association (AIPWA) stands in solidarity with the students of HNLU Raipur who are protesting against discriminatory norms and rules against women students. Hundreds of HNLU students are demanding freedom from curfew timing and discriminatory norms against women.  AIPWA spoke with women students from HNLU who said that restrictions are being laid upon them in the name of 'safety' and they are not able to do due justice to their studies and research. The students said that their main demand is that the curfew time of 10 PM for women should be revoked and they should be allowed to go to the library and computer labs 24x7 as this is very important for their studies and research work as law students.  The students have been protesting for 8 days now but the HNLU management and the central and State governments have not given any positive response to their demands.  AIPWA condemns the discrimination against women students and dema

हर पंचायत में सुविधा संपन्न स्वास्थ्य केंद्र और हाईस्कूल और हर प्रखंड में कालेज बनाओ !

बेटी बचाओ, पढ़ाओ का जुमला बंद करो अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के आह्वान पर जिलाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन साथियों, आज देश के सामने बहुत ही विकट स्थिति है.लव जेहाद और गोरक्षा के नाम पर उत्पीड़न और हिंसा से बढ़ते हुए अब दिल्ली में संसद मार्ग पर संविधान जलाया जा रहा है और बिहार के बिहिया में पुलिस की मौजूदगी में औरत को नग्न कर सड़क पर घुमाया जा रहा है.यही नहीं, आज सत्ता का प्रश्रय पाकर मॉब लिंचिंग गिरोह देश में हर जगह हिंसा और आतंक का माहौल बना रहे हैं और इन गिरोहों की करतूतों के पक्ष में सरकार के बड़े बड़े मंत्री तर्क दे रहे हैंं. सबके लिए बराबरी और भाईचारे की बात या अपने मौलिक अधिकारों की मांग को भी आज राष्ट्रद्रोह बताकर हिंसा की जा रही है और केंद्र की सरकार इस हिंसा को हवा दे रही है ताकि लोग आपस में बंट कर लड़ते रहें . बेरोजगारी, गरीबी जैसी समस्याओं के लिए दूसरे समुदायों खासकर अल्पसंख्यक समुदाय को दोषी ठहराते रहें  ,सरकार के झूठे जुमलों पर विश्वास करें और सरकार गरीबों और महिलाओं का हक मारकर अपने चहेते पूंजीपतियों को मुनाफा पहुंचाती रहे.  महिलाओं के संदर्भ म

बिहिया व नालंदा की घटना के खिलाफ महिलाओं का प्रतिरोध मार्च.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस्तीफा दो. भोजपुर के डीएम और एसपी पर तत्काल कार्रवाई करो. पटना 22 अगस्त 2018 बिहार की तमाम महिला संगठनों ने आज बिहिया में पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में एक महिला को नंगा कर घुमाये जाने और हिंसा किए जाने के विरोध में प्रतिरोध मार्च निकाला. महिला संगठनों ने नालंदा जिले के पावापुरी में एक दलित महिला द्वारा जबरन संबंध बनाए जाने का विरोध करने पर जिन्दा जलाने की शर्मनाक घटना पर गहरा रोष व्यक्त किया है. आज स्थानीय रेडियो स्टेशन से जुलूस निकला जो डाकबंगला तक गया और फिर सभा में तब्दील हो गई. महिलाओं का हुजूम बिहिया की घटना के साथ बिहार में लगातार महिलाओं पर हो रही हिंसा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से इस्तीफे की मांग की. भोजपुर के डीएम और एसपी पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की. बिहिया थाना प्रभारी को बर्खास्त करने और महिलाओं के प्रति घृणा फैलाने वाली ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. डाकबंगला पहुंच कर मार्च एक सभा में तब्दील हो गई. सभा को संबोधित

शेल्टर होम में सरकारी संरक्षण में महिलाओं पर बढ़ती हिंसा के खिलाफ जनसंवाद

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मुजफ्फरपुर सहित बिहार के तमाम बालिका, अल्पावास, स्वाधार व अन्य शेल्टर होम में सरकारी संरक्षण में महिलाओं पर बढ़ती हिंसा के खिलाफ आज दिन 18 अगस्त को पटना के आइएमए हाॅल में महिला संगठनों ने जनसंवाद का आयोजन किया. जनसंवाद में महिला संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा पटना शहर के कई बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया और कहा कि महिलाओं पर सरकारी संरक्षण में जारी इस हिंसा को नागरिक समाज कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. इस जनसंवाद का आयोजन महिला संगठनों अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन-ऐपवा, बिहार महिला समाज, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति-ऐडवा, अखिल भारतीय सांस्कृतिक महिला संगठन, बिहार वीमेन नेटवर्क, साझा मंच, डब्लूएसएस, जनजागरण शक्ति संगठन, नाजरेथ समाज, बिहार मुस्लिम महिला मंच, अपने आप आदि महिला संगठनों ने संयुक्त रूप से किया. महिला संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा जनसंवाद के कार्यक्रम में पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की शिक्षिका प्रो. डेजी नारायण, एएन सिन्हा के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर, एडवोकेट शमा सिन्हा आदि बुद्धिजीवी शामिल हुए. जनसंवाद का विषय प्रवेश ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी न