एपवा का 'दिल्ली सामूहिक बलात्कार' की घटना के खिलाफ प्रदर्शन
दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की बर्बर घटना के बाद पूरा देश आंदोलित है. एपवा, आइसा और इंनौस ने बढ़ती महिला विरोधी हिंसा के खिलाफ अलग-अलग शहरों में प्रदर्शनों का सिलसिला जारी रखा है.
दिल्ली में चलती बस में हुई गैंगरेप की घटना के साथ साथ देशभर में असुरक्षित होती महिलाओं को सुरक्षा देने और बलात्कारियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हुए 21 दिसंबर को रांची में ऐपवा और आईसा ने संयुक्त रूप से प्रतिवाद मार्च निकाला और लचर होती कानून व्यवस्था एवम् अक्षम होती दिल्ली एवम् केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्षन किया। भकपा माले कार्यालय से निकला जो शहीद चैक से होते हुए एलबर्ट एक्का चैक तक पहुंचा। पार्टी कार्यालय से निकलने के साथ ही हमारे इस विरोध प्रदर्षन का हिस्सा आम जनता भी बनने लगी तो वहीं आस पास से गुजरते कालेज के छात्र छात्राओं ने भी हमारे साथ अपना विरोध दर्ज कराया। रांची की जानी मानी मनोविज्ञान की प्रोफेसर और नारी संवाद संगठन से जुड़ी रेणु दिवान भी ऐपवा और आईसा के इस संयुक्त विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।
ठीक इसके अगले दिन यानी 22 दिसंबर को एक बार फिर ऐपवा आईसा जसम संयुक्त रूप से सड़क पर उतरी कारण जो पूरे देश ने देखा कि किस तरह शीला दीक्षित सरकार द्वारा न्याय की मांग करने वालों पर दमनात्मक कार्रवाई की गई। छात्र छात्राओं पर न केवल पानी की बौंछार ही की गई बल्कि लाठियां भी बरसाईं गईं जिस कारण कई प्रदर्शनकारियों को चोंटे भी आईं। और इस बार हमारे इस विरोध का हिस्सा वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर रमेश शरण और प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े प्रोफेसर मिथिलेश भी बने और दिल्ली सरकार की इस दमनात्क कार्रवाई की कठोर शब्दों में निंदा की। विरोध प्रदर्षन के साथ साथ यूपीए सरकार का पुतला भी जलाया गया। 21 दिसंबर को हुए प्रतिवार्द मार्च का नेतृत्व जहां ऐपवा की सुनीता, गुनी उरांव सरोजिनी बिष्ट सिनगी खलखों और सोनी तिरिया ने किया वहीं आईसा की श्वेता, सुशीला, खुशबू और प्रिया ने भी नेतृत्व किया। तो वहीं अगले दिन यानी 22 दिसंबर को जसम के राज्य सचिव कामरेड अनिल अंशुमन और झारखंड जनरल मजदूर निर्माण संगठन के रांची जिला सचिव कामरेड सुदामा खलखों ने भी विरोध प्रदर्षन में अपनी अपस्थिति दर्ज करवाई।
21 दिसंबर को जब ऐपवा और आइसा सड़क पर उतरी तो यह आक्रोश केवल केंद्र या दिल्ली सरकार के खिलाफ ही नहीं था बल्कि जिस तरह से झारखंड और खासकर रांची जिला शोहदों और बलात्कारियों का अड्डा बनता जा रहा है और सरकार से लेकर पुलिस प्रशासन मौन बूत बने बैठे हैं उसने महिलाओं और किशोरियों की सुरक्षा पर सवालियां निशान लगा दिया है। जिस दिन दिल्ली में गैंगरेप की दिल दहला देने वाली घटना घटी ठीक उसके कुछ दिन पहले ही रांची से सटे पतरातू के जंगल में एक किषोरी की लाष मिली जो अर्धनग्न अवस्था में थी । पोस्टमार्टम रिपोर्ट से युवती के साथ सामूहिक बलात्कार होने की पुष्टि हुए। जब घटना का सच सामने आया तो पता चला कि दुष्कर्मियों में उसका अपना मामा भी शामिल था जिसने अपनी भांजी का न केवल बलात्कार करवाया बल्कि खुद भी इस जघन्य अपराध में शामिल था। उस युवती का बस इतना ही कसूर था कि वह उस युवक से विवाह करना चाहती थी जिससे वह प्रेम करती थी अभी इस जघन्य अपराध का षोर थमा भी नहीं था कि 14 दिसंबर को रांची की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। मृतका पिछले कई दिनों से शोहदों की छेड़खानी का शिकार थी जब शोहदों द्वारा छेड़खानी का मामला बढ़ता ही चला गया और पीडि़ता की कहीं सुनवाई नहीं हुई तो अंततः उसने आत्महत्या कर ली हालांकि इस घटना ने तो इस घटना के अगले दिन 15 दिसंबर को रांची की ही एक ओर यौन शोषण से पीडित बेटी ने आत्महत्या कर ली तो वहीं झारखंड के ही गिद्दी की एक दस साल की छात्रा के साथ उसी की स्कूल में गैंगरेप हुआ। दुष्कर्मियों ने बच्ची की आंख पर पट्टी बांधकर उसका बलात्कार किया। और 16 दिसंबर को देश की राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ उस घटना का साक्षी तो पूरा देश बना ही।
1- न केवल राजधानी दिल्ली बल्कि देश के हर राज्य में स्त्री समाज के खिलाफ बढ़ती छेड़छाड़,
इलाहाबाद |
बलिया |
बनारस |
गोरखपुर |
कोलकोता |
रांची |
सिर्फ सम्मान ही नहीं बराबरी भी देनी होगी -
दिल्ली में चलती बस में हुई गैंगरेप की घटना के साथ साथ देशभर में असुरक्षित होती महिलाओं को सुरक्षा देने और बलात्कारियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हुए 21 दिसंबर को रांची में ऐपवा और आईसा ने संयुक्त रूप से प्रतिवाद मार्च निकाला और लचर होती कानून व्यवस्था एवम् अक्षम होती दिल्ली एवम् केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्षन किया। भकपा माले कार्यालय से निकला जो शहीद चैक से होते हुए एलबर्ट एक्का चैक तक पहुंचा। पार्टी कार्यालय से निकलने के साथ ही हमारे इस विरोध प्रदर्षन का हिस्सा आम जनता भी बनने लगी तो वहीं आस पास से गुजरते कालेज के छात्र छात्राओं ने भी हमारे साथ अपना विरोध दर्ज कराया। रांची की जानी मानी मनोविज्ञान की प्रोफेसर और नारी संवाद संगठन से जुड़ी रेणु दिवान भी ऐपवा और आईसा के इस संयुक्त विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।
ठीक इसके अगले दिन यानी 22 दिसंबर को एक बार फिर ऐपवा आईसा जसम संयुक्त रूप से सड़क पर उतरी कारण जो पूरे देश ने देखा कि किस तरह शीला दीक्षित सरकार द्वारा न्याय की मांग करने वालों पर दमनात्मक कार्रवाई की गई। छात्र छात्राओं पर न केवल पानी की बौंछार ही की गई बल्कि लाठियां भी बरसाईं गईं जिस कारण कई प्रदर्शनकारियों को चोंटे भी आईं। और इस बार हमारे इस विरोध का हिस्सा वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर रमेश शरण और प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े प्रोफेसर मिथिलेश भी बने और दिल्ली सरकार की इस दमनात्क कार्रवाई की कठोर शब्दों में निंदा की। विरोध प्रदर्षन के साथ साथ यूपीए सरकार का पुतला भी जलाया गया। 21 दिसंबर को हुए प्रतिवार्द मार्च का नेतृत्व जहां ऐपवा की सुनीता, गुनी उरांव सरोजिनी बिष्ट सिनगी खलखों और सोनी तिरिया ने किया वहीं आईसा की श्वेता, सुशीला, खुशबू और प्रिया ने भी नेतृत्व किया। तो वहीं अगले दिन यानी 22 दिसंबर को जसम के राज्य सचिव कामरेड अनिल अंशुमन और झारखंड जनरल मजदूर निर्माण संगठन के रांची जिला सचिव कामरेड सुदामा खलखों ने भी विरोध प्रदर्षन में अपनी अपस्थिति दर्ज करवाई।
21 दिसंबर को जब ऐपवा और आइसा सड़क पर उतरी तो यह आक्रोश केवल केंद्र या दिल्ली सरकार के खिलाफ ही नहीं था बल्कि जिस तरह से झारखंड और खासकर रांची जिला शोहदों और बलात्कारियों का अड्डा बनता जा रहा है और सरकार से लेकर पुलिस प्रशासन मौन बूत बने बैठे हैं उसने महिलाओं और किशोरियों की सुरक्षा पर सवालियां निशान लगा दिया है। जिस दिन दिल्ली में गैंगरेप की दिल दहला देने वाली घटना घटी ठीक उसके कुछ दिन पहले ही रांची से सटे पतरातू के जंगल में एक किषोरी की लाष मिली जो अर्धनग्न अवस्था में थी । पोस्टमार्टम रिपोर्ट से युवती के साथ सामूहिक बलात्कार होने की पुष्टि हुए। जब घटना का सच सामने आया तो पता चला कि दुष्कर्मियों में उसका अपना मामा भी शामिल था जिसने अपनी भांजी का न केवल बलात्कार करवाया बल्कि खुद भी इस जघन्य अपराध में शामिल था। उस युवती का बस इतना ही कसूर था कि वह उस युवक से विवाह करना चाहती थी जिससे वह प्रेम करती थी अभी इस जघन्य अपराध का षोर थमा भी नहीं था कि 14 दिसंबर को रांची की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। मृतका पिछले कई दिनों से शोहदों की छेड़खानी का शिकार थी जब शोहदों द्वारा छेड़खानी का मामला बढ़ता ही चला गया और पीडि़ता की कहीं सुनवाई नहीं हुई तो अंततः उसने आत्महत्या कर ली हालांकि इस घटना ने तो इस घटना के अगले दिन 15 दिसंबर को रांची की ही एक ओर यौन शोषण से पीडित बेटी ने आत्महत्या कर ली तो वहीं झारखंड के ही गिद्दी की एक दस साल की छात्रा के साथ उसी की स्कूल में गैंगरेप हुआ। दुष्कर्मियों ने बच्ची की आंख पर पट्टी बांधकर उसका बलात्कार किया। और 16 दिसंबर को देश की राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ उस घटना का साक्षी तो पूरा देश बना ही।
1- न केवल राजधानी दिल्ली बल्कि देश के हर राज्य में स्त्री समाज के खिलाफ बढ़ती छेड़छाड़,
बलात्कार, यौन अपराध के मामलों में होती बेताहाशा वृद्धि पर अब रोक लगानी ही होगी।
2- सम्मान ही नहीं बराबरी का दर्जा देना ही होगा।
3- हम महिलाएं उपभोग की वस्तु नहीं -हमें भी इंसान समझना होगा।
4- दिल्ली गैंगरेप की षिकार लड़की को न्याय देना ही होगा ।
5- महिलाओं के खिलाफ भद्दी टिप्पणी करने वाले भी बलात्कारी से कम नहीं ।
6- न्याय की मांग करने वालों पर दमन क्यों दिल्ली सरकार जवाब दो ।
7- इंसाफ की आवाज नहीं दबेगी नहीं थमेगी नहीं रूकेगी ।
आदि इन्ही नारों के साथ ऐपवा आइसा जसम ने अपना प्रतिवाद मार्च निकाला और विरोध दर्ज किया।
2- सम्मान ही नहीं बराबरी का दर्जा देना ही होगा।
3- हम महिलाएं उपभोग की वस्तु नहीं -हमें भी इंसान समझना होगा।
4- दिल्ली गैंगरेप की षिकार लड़की को न्याय देना ही होगा ।
5- महिलाओं के खिलाफ भद्दी टिप्पणी करने वाले भी बलात्कारी से कम नहीं ।
6- न्याय की मांग करने वालों पर दमन क्यों दिल्ली सरकार जवाब दो ।
7- इंसाफ की आवाज नहीं दबेगी नहीं थमेगी नहीं रूकेगी ।
आदि इन्ही नारों के साथ ऐपवा आइसा जसम ने अपना प्रतिवाद मार्च निकाला और विरोध दर्ज किया।
-सरोजिनी बिष्ट, रांची
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