हर पंचायत में सुविधा संपन्न स्वास्थ्य केंद्र और हाईस्कूल और हर प्रखंड में कालेज बनाओ !

बेटी बचाओ, पढ़ाओ का जुमला बंद करो

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के आह्वान पर जिलाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन



साथियों,

आज देश के सामने बहुत ही विकट स्थिति है.लव जेहाद और गोरक्षा के नाम पर उत्पीड़न और हिंसा से बढ़ते हुए अब दिल्ली में संसद मार्ग पर संविधान जलाया जा रहा है और बिहार के बिहिया में पुलिस की मौजूदगी में औरत को नग्न कर सड़क पर घुमाया जा रहा है.यही नहीं, आज सत्ता का प्रश्रय पाकर मॉब लिंचिंग गिरोह देश में हर जगह हिंसा और आतंक का माहौल बना रहे हैं और इन गिरोहों की करतूतों के पक्ष में सरकार के बड़े बड़े मंत्री तर्क दे रहे हैंं. सबके लिए बराबरी और भाईचारे की बात या अपने मौलिक अधिकारों की मांग को भी आज राष्ट्रद्रोह बताकर हिंसा की जा रही है और केंद्र की सरकार इस हिंसा को हवा दे रही है ताकि लोग आपस में बंट कर लड़ते रहें . बेरोजगारी, गरीबी जैसी समस्याओं के लिए दूसरे समुदायों खासकर अल्पसंख्यक समुदाय को दोषी ठहराते रहें  ,सरकार के झूठे जुमलों पर विश्वास करें और सरकार गरीबों और महिलाओं का हक मारकर अपने चहेते पूंजीपतियों को मुनाफा पहुंचाती रहे. 

महिलाओं के संदर्भ में अगर बात करें तो आज सरकार बेटी पढ़ाओ का उपदेश दे रही है और करोड़ों रुपए विज्ञापन पर खर्च कर रही है. बेटियां तो तब पढ़ पायेंगी न जब उनकी पहुंच के दायरे में स्कूल और कॉलेज हों लेकिन सरकार गरीब बच्चों की पढ़ाई का पैसा मारकर अम्बानी के अजन्मे विश्वविद्यालय को अरबों रुपए दे रही है. इसी तरह स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाई गई आयुष्मान योजना झुनझुना से अधिक कुछ नहीं है. अव्वल तो इसमें 200करोड़ की मामूली राशि दी गई है लेकिन जिस तरह का भ्रष्टाचार हर जगह व्याप्त है उसमें कितने गरीब ईलाज के लिए यह पैसा  हासिल कर पायेंगे? कितने लोग बड़े शहरों और बड़े प्राइवेट अस्पतालों में जाकर ईलाज करवा सकेंगे?. जरूरत तो है कि हर पंचायत में सुविधा संपन्न स्वास्थ्य केंद्र हों.हर पंचायत में यदि डॉक्टर, दवा, प्रसव की सुविधा हो तो देश के करोड़ों गरीब परिवारों फायदा होगा. इसी तरह शौचालय और उज्ज्वला योजना को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है. क्या यह शर्मनाक नहीं है कि आजादी के72साल बाद भी यहां हर परिवार के पास स्वच्छ शौचालय और हवादार रसोईघर नहीं है.

सरकार कल्याणकारी योजनाओं को धीरे धीरे सीमित या खत्म कर रही है  इसके लिए पैसे की कमी का रोना रोया जाता है जबकि  पूंजीपरस्त नीतियों के कारण  मुठ्ठी भर लोग दुनिया के सबसे धनी लोगों में शामिल हो रहे हैं और अरबों रुपयों का घोटाला करके माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग विदेश में बस जा रहे हैं .इसलिए हम फिर दुहराते हैं कि महिलाओं और गरीबों को उपदेश और बड़े पूंजीपतियों के हवाले माल करने की चालाकी बंद करो,शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को पूंजीपतियों के मुनाफे का जरिया बनाना बंद करो.

आइये, 4 सितंबर को देश के हर जिले में एक साथ हम अपनी आवाज बुलंद करें. 

ऐपवा

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