डालीबाग में कश्मीरियों पर हमला करने वाले गुंडों को गिरफ्तार करो
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आज 7 मार्च को एपवा व अन्य महिला संगठनों तथा लोकतंत्र-पसंद नागरिकों ने परिवर्तन चौक से गांधी प्रतिमा हज़रतगंज तक मार्च निकाला ।
मार्च में शामिल लोग नारे लगा रहे थे, "महिला सुरक्षा, सम्मान व अधिकारों की गारंटी करो", "आतंकवाद, युद्धोन्माद, नफरत व विभाजन की राजनीति बंद करो", "डालीबाग में कश्मीरियों पर हमला करने वाले गुंडों को गिरफ्तार करो", "लोकतंत्र की हिफाजत के लिए आगे बढ़ो" आदि नारो के साथ मार्च करते हुए गांधी प्रतिमा पर पहुंच कर सभा मे बदल गया।
सभा का संचालन करते हुए एपवा की जिला संयोजिका मीना सिंह ने लोगों को उन महान महिला आंदोलनों की याद दिलाई जिनकी बदौलत महिला मुक्ति का कारवां आगे बढ़ा और मौजूदा मुकाम तक पहुंचा। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी-योगी सरकार की नीतियां महिला आन्दोलन की तमाम उपलब्धियों को छीन लेने पर आमादा हैं।
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण को ठंडे बस्ते में डाल दिया और महिला व सम्मान, सुरक्षा व अधिकारों पर लगातार हमले कर रही हैं। आगे उन्होंने कहा कि जनसंघर्षों तथा जनराजनीति के बल पर आतंकवाद, युद्धोन्माद, नफरत व विभाजन की राजनीति को शिकस्त दी जाएगी और महिलाओं की बेखौफ आज़ादी तथा नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों की हर हाल में हिफाज़त की जाएगी ।
सभा को सम्बोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता नाइस हसन ने डालीबाग पुल पर मेवे बेच रहे कश्मीरी नौजवानों के ऊपर हमले पर तीव्र आक्रोश व्यक्त किया तथा हमलावर गुंडों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि शबरीमला मन्दिर में महिलाओ को यह कहकर प्रवेश करने से रोका गया कि यह लोगो की भावना का सवाल है। उन्होंने कहा कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट से ऊपर है? उन्होंने तीन तलाक अध्यादेश पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इस सरकार से महिलाओ का मोहभंग हो गया है।
सभा को महिला फेडरेशन की बबिता जी, अध्यापिका मंदाकिनी राय व आइसा की सना उम्मीद ने भी सम्बोधित किया। सभा की अध्यक्षता महिला फेडरेशन की कांति मिश्रा जी ने किया। मार्च में महिलाओं के साथ आइसा ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों में प्रमुख रूप से सर्वश्री अरुण खोटे, विश्वास यादव, पूजा यादव, कल्पना भद्रा, मंदाकिनी राय, बबिता, आइसा से नितिन राज, शिवा रजवार कमला, सना उम्मीद व राज कुमारी आदि लोग शामिल थे।
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