झारखंड में महिला उत्पीड़न के विरोध में कार्यक्रम
यों तो महिला उत्पीड़न की घटनाओं के मामले में, खासकर भाजपा सरकार बनने के बाद से, झारखंड हमेशा सुर्खियों में रहता आया है, पर हाल के अरसे में तो लगता है कि विभिन्न किस्म की महिला उत्पीड़न की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है. हर मामले में अपराधियों को बचाने में भाजपा नेताओं और पुलिस की मिलीभगत भी सामने आ रही है जिसकी वजह से अपराधी कहीं पकड़े नहीं जा रहे हैं. भाकपा(माले) ने ऐसे हर मामले में पहलकदमी ली है और शासक भाजपा व प्रशासन को बेनकाब करते हुए अपराधियों को कठघरे में खींच लाने के लिये संघर्ष चलाया है.
गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड में एक नाबालिग आदिवासी छात्र के साथ दो युवकों ने बलात्कार किया लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते दो दिनों तक दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई. इसके विरोध में दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग को लेकर भाकपा(माले) ने 31 अक्टूबर 2018 को तिसरी बंद आयोजित किया और प्रतिवाद मार्च निकाला. धनवार के भाकपा(माले) विधायक का. राजकुमार यादव के नेतृत्व में प्रतिवाद मार्च तिसरी के गंभरिया टांड़ से निकलकर थाना होते हुए तिसरी चौक पहुंचा जहां नुक्कड़ सभा हुई. प्रतिवाद मार्च में सैकड़ों आदिवासी महिला पुरुष अपने अपने हाथों में पारंपरिक हथियार लिए हुए थे और नगाड़े के साथ दोषियों की गिरफ्तारी की मांग पुलिस प्रशासन से कर रहे थे. मार्च में भाजपा सरकार तथा जिला प्रशासन के खिलाफ नारे लग रहे थे. प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए का. राजकुमार यादव ने कहा कि तिसरी में आए दिनों दलित आदिवासी छात्रओं पर हमले बढ़े हैं. 29 अक्टूबर को स्कूल जा रही नाबालिग आदिवासी छात्र के साथ बर्बर बलात्कार पूरे समाज के लिए निंदनीय व चिंता का विषय है. तिसरी पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं. उन्होंने इस मामले में एसआईटी गठन करके जांच की मांग करते हुए कहा कि अविलम्ब गिरफ्तारी और द्रुत मुकदमा चलाकर 3 महीने के अंदर अपराधियों को कड़ी-से-कड़ी सजा मिल जानी चाहिये. अगर एक सप्ताह के अंदर दोषियों की गिरफ्तारी नहीं होती तो भाकपा(माले) कार्यकर्ता तिसरी थाने के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे. ’भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य सह ऐपवा नेत्री जयंती चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा खोखला व झूठा साबित हुआ है. का. जय नारायण यादव ने कहा यदि पुलिस प्रशासन दोषियों को नहीं खोज पाती है तो भाकपा(माले) के लोग दोषियों को पकड़ कर सामने लाएंगे. नुक्कड़ सभा की अध्यक्षता का. मुन्ना राणा व संचालन इनौस के प्रखंड सचिव धर्मेंद्र यादव ने किया. सभा को ऐपवा नेत्री कौशल्या दास, जासो देवी, धर्मेंद्र यादव, रामजीत मुर्मू आदि ने भी संबोधित किया. मार्च व सभा में पीडि़ता के गांव के सैकड़ों आदिवासी महिला पुरुष और भाकपा(माले), ऐपवा व इनौस के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे.
इसी जिले के जमुआ प्रखंड में हुई एक अन्य घटना में 25 अक्टूबर को दिन-दहाड़े, जब एक नाबालिग छात्र जब शौच के लिए गई हुई थी, तब भाजपा के स्थानीय विधायक केदार हाजरा के भतीजे ने उसे जबरन जंगल मे लेजाकर बलात्कार किया। जब लड़की के पिता ने पंचायत में इसकी शिकायत की तो 28 अक्टूबर को पंचायत बैठी. भरी पंचायत में विधायक केदार हाजरा ने पीडि़ता बच्ची और उसकी मां को चप्पल से पीटा और चुप बैठने की धमकी दिया। जब विधायक केदार हाजरा के खिलाफ जिले भर में आवाज उठने लगी तो कोडरमा के भाजपा सांसद रवीन्द्र राय उसके बचाव में उतर पड़े.
इसके खिलाफ 6 नवम्बर 2018 को गिरिडीह जिले में सर्वत्र प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किये गये. बगोदर विधानसभा क्षेत्र में ऐपवा ने सरिया रोड स्थित किसान भवन से लेकर समूचे बगोदर बाजार में प्रतिवाद मार्च निकाला और भाजपा विधायक केदार हाजरा को अविलंब बर्खास्त करने की मांग झारखण्ड विधानसभा अध्यक्ष से की। समूचे बाजार भ्रमण के बाद जीटी रोड चौराहे पर केदार हाजरा का पुतला फूंका गया। विधायक की बर्खास्तगी और बलात्कारी भतीजे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आगामी 10 नवंबर को हजारों की संख्या में जमुआ चलने की अपील की गई. बिरनी प्रखंड में भी इस दिन प्रतिवाद मार्च करके विधायक केदार हाजरा और सांसद रवीन्द्र राय के पुतले जलाये गये और जमुआ विधायक पर मुकदमा दर्ज करने तथा उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई. कार्यक्रम का नेतृत्व जिला परिषद सदस्य किरण कुमारी, मुखिया मुनावती बैठा, सविता दास आदि नेताओं ने किया.
कोडरमा जिले के डोमचांच में एक 12 वर्षीय छात्र की ट्रैफिकिंग (बाहर लेजाकर बेच देने) के खिलाफ 3 नवम्बर 2018 को ऐपवा के नेतृत्व में डोमचांच काली मंदिर से टैक्सी स्टैंड तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया। सिबरन नाम की चौथी कक्षा की 12 वर्षीय छात्र डोमचांच प्रखंड के ढाब पंचायत के जंगल में स्थित कुहकहवा गांव के रहने वाली है। इस परिवार का अपना कोई घर नहीं है। जंगल के अंदर पुश्तैनी पुराने टूटे मकान में यह अत्यंत गरीब परिवार रहता है। गत 7 अक्टूबर को नजदीक रहने वाली दो महिला ट्रैफिकिंग एजेंट मुन्ना देवी व कुन्ती देवी उस लड़की को शादी के बहाने उसके माता पिता के साथ नवादा ले गईं। वहां मां-बाप को धोखा देकर बच्ची को जोधपुर ले जाकर बेच दिया. शिकायत किये जाने के बावजूद पुलिस ने बच्ची को खोजने का अब तक कोई कदम नहीं उठाया, न ही ट्रैफिकिंग गिरोह के अपराधियों को गिरफ्रतार किया. जाहिर है कि पुलिस और ट्रैफिकिंग गिरोह में सांठगांठ है. कोडरमा के भाजपा सांसद एवं भाजपा विधायक किसी ने पीडि़त परिवार से मुलाकात तक नहीं की जबकि ढाब पंचायत को सांसद ने गोद लिया है. जब पीडि़त परिवार ने थाने में केस किया और धारा 164 के तहत उनका बयान लिया गया तो सांसद ने कहा कि मां-बाप को रुपये मिला होगा। ढाब थानेदार ने पीडि़त परिवार के घर जाकर धमकी दी कि केस वापस कर लो वरना तुम्हारे ऊपर ही केस कर दिया जायेगा।
भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य और ऐपवा राज्य सचिव कामरेड गीता मंडल के नेतृत्व में निकाले गये प्रतिवाद मार्च और उसके बाद हुई सभा के जरिए मांग की गई कि तीन दिन के अंदर नाबालिग छात्र सिबरन को उसके परिवार में वापस लाया जाय। ट्रैफिकिंग गिरोह को गिरफ्तार कर कानूनी कार्यवाही की जाय तथा ढाब थाना के थानेदार को बर्खास्त किया जाये, अन्यथा ऐपवा इस मुद्दे पर कोडरमा संसदीय क्षेत्र और पूरे राज्य में व्यापक आंदोलन करेगी। मार्च के बाद गीता मण्डल ने ऐपवा कार्यकर्ताओं के साथ पीडि़त परिवार से भी मुलाकात की। प्रतिबाद मार्च में परमजीत कौर, इंदुमित्र, बबीता देबी, सुशीला देवी, कौशल्या देवी आदि दर्जनों महिलाओं के साथ-साथ मुन्ना यादव व भाकपा(माले) जिला सचिव मोहन दत्ता भी शामिल थे।
गढ़वा जिले में मेराल प्रखंड के करकोमा गांव में 14 सितम्बर 2018 को किरण देवी के साथ सवर्ण दबंग ने दुष्कर्म किया. पहले इस सवाल पर गांव में ही पंचायत बैठी जहां घटना को दबाने की कोशिश की गई. इससे असंतुष्ट होकर जब पीडि़ता ने 17 सितम्बर को मेराल थाने में आरोपी अाशीष दुबे के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिये आवेदन दिया तो उसे थानेदार ने अपशब्द बोलते हुए डांटकर भगा दिया. गांव में दुबारा पंचायत बैठी तो आरोपी की ओर से धमकियां दी जाने लगीं कि जब थाना-विधायक-सरकार हमारे पक्ष में है तो तुम क्या कर लोगी. पंचायत में आरोपी की ओर से हाथापाई भी हुई. अंततः पीडि़त परिवार ने एसपी गढ़वा को कार्रवाई के लिये आवेदन दिया और अदालत में भी परिवाद पत्र दाखिल कर दिया. तब कहीं जाकर 25 सितम्बर को मेराल थाना में केस दर्ज हुआ और घटना के 22 दिन बाद 5 अक्टूबर को मेडिकल जांच हुई. बावजूद इसके पुलिस निष्क्रिय भूमिका अपनाये हुए है. सिर्फ इतना ही नहीं, आरोपियों की ओर से प्रतिशोधस्वरूप पीडि़ता के परिवार और गवाहों पर एक फर्जी केस का आवेदन देकर इस मामले को दबाने की कोशिशें भी की जा रही है. इन सब के खिलाफ गत 4 नवंबर 18 को भाकपा(माले) की मेराल प्रखंड कमेटी के नेतृत्व में प्राथमिक विद्यालय करकोमा में प्रतिवाद सभा हुई जिसकी अध्यक्षता रहमतुल्लाह अंसारी ने की. वक्ताओं ने थाना प्रभारी की संदेहजनक भूमिका पर सवाल उठाते हुए अन्य कई मामलों का जिक्र किया जिसमें पुलिस का साजिशाना रवैया रहा है. यहां तक कि भाजपा विधायक की सांठगांठ से इसमें भाकपा(माले) के नेताओं तक को लपेटने की साजिश पुलिस कर रही है.
सभा को भाकपा(माले) जिला सचिव कालीचरण मेहता, सुषमा मेहता, जिला पार्षद रामनरेश चौधरी, लतीफ अंसारी, नजमुद्दीन अंसारी, आदि ने सम्बोधित किया. मौके पर सैकड़ों महिला पुरुष उपस्थित थे।
साभार- समकालीन लोकयुद्ध
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