उत्तर प्रदेश ऐपवा नेता जीरा भारती पर भाजपा-समर्थित दबंगों द्धारा हमला




 

उत्तर प्रदेश ऐपवा एवं भाकपा माले नेता जीरा भारती पर भाजपा-समर्थित दबंगों द्धारा हमले के खिलाफ 6-7 जुलाई को ऐपवा द्वारा किया जाएगा राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद


स्कूटी या साइकल पर सवार जीरा भारती मिर्ज़ापुर के ग्रामीण गरीब और
महिलाओं के लिए एक सुपरिचित और लोकप्रिय व्यक्तित्व हैं

नई दिल्ली 4 जुलाई 2017

यूपी में संविधान की लगातार उड़ायी जा रही धज्जियां, दलित-अल्पसंख्यक और महिलायें खास निशाने पर.
ताजा घटनाक्रम में दलित समुदाय से आने वाली ऐपवा व माले नेत्री जीरा भारती पर किया गया है सामंती हमला।
यूपी में जब से योगी की सरकार आई है, संविधान व लोकतंत्र की लगातार धज्जियां उड़ायी जा रही हैं. सामंती-अपराधियों का मनोबल आसमान छू रहा है और सहारनपुर से लेकर मिर्जापुर तक दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों पर हमले की बाढ़ सी आ गयी है.
लखनऊ में 15 जून 2017 को भाकपा माले द्धारा आयोजित महाधरना को सम्बोधित करती साथी जीरा भारती
सबसे हालिया घटनाक्रम में मिर्जापुर जिले में ऐपवा व माले की नेता जीरा भारती पर सामंती-दबंगों ने हमला किया. 3 जुलाई की रात को जब वे मिर्जापुर प्रखंड कार्यालय से अपने गांव रिक्सा खुर्द लौट रही थीं, सामंती ताकतों ने उनके ऊपर बर्बरता से हमला किया, उनकी साड़ी खोलकर उन्हें निर्वस्त्र किया और उन्हें जमीन पर गिरा दिया. उन्हें लात-घूंसों से बुरी तरह से मारा. उनके साथ उनका 14 वर्ष का बेटा भी था, जब उस बच्चे ने माँ की मदद करने की कोशिश की तो उसे भी पीटा गया. स्थानीय रूप से प्रभुत्वशाली कुर्मी समुदाय के चतरू पटेल और उनके परिवार जनों ने इस हमले का नेतृत्व किया, और हमले में चतरू पटेल के परिवार की कुछ महिलाएं भी शामिल हुईं। साथी जीरा भारती को स्थानीय प्रभुत्वशाली समुदायों के कई लोगों के सामने पीटा गया और निर्वस्त्र किया गया. साथी जीरा किसी तरह खुद को बचाकर अपने घर पहुंची और उन्होंने 100 नंबर पर फ़ोन किया पर पुलिस डेढ़ घंटे बाद पहुंची। 
4 जुलाई को साथी जीरा भारती ने थाने में FIR दर्ज़ कराया. पर थाने पर मड़िहान के भाजपा विधायक रमा शंकर पटेल अपने समर्थकों की भीड़ के साथ पहुंचा और हमलावरों के पक्ष में दबाव बनाया. रमा शंकर पटेल भी हमलावरों की तरह प्रभुत्वशाली कुर्मी समुदाय से है. भाजपा विधायक के दबाव में पुलिस ने महिलाओं पर हिंसा और दलित महिला को निर्वस्त्र करने और उनपर हमला करने से सम्बंधित SC/ST (Prevention of Atrocities) Act और  Criminal Law (Amendment) Act 2013 वाली धाराओं को नहीं लगाया.  
ज्ञात हो कि भाजपा विधायक रमा शंकर पटेल पर खुद महिला के साथ बदसलूकी का आरोप है, और उनके भतीजे और समर्थकों पर मुस्लिम महिलाओं पर हिंसा सम्बन्धी FIR भी है.         
दलित समुदाय से आने वाली जीरा भारती 2014 में भाकपा-माले की ओर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं और इलाके की जबरदस्त नेता हैं. पिछले समय में उन्होंने अपने इलाके में मजदूरी के सवाल पर जबरदस्त आंदोलन का नेतृत्व किया था. जिसके दबाव में प्रशासन को मजदूरी की दर बढ़ाकर 100 रु. करनी पड़ी थी. सामंती ताकतें इसी से खार खाए बैठी थीं. योगी राज में इनका मनोबल बढ़ा और इस तरह की शर्मनाक घटना सामने आई.
इसके पूर्व बनारस में भाकपा-माले कार्यालय पर छापेमारी की गयी, जो यह साबित करता है कि योगी राज में लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे प्रतिवाद को भी सरकार दबाने पर पूरी तरह आमादा है. सहारनपुर में दलितों पर हमला किया गया और भीम आर्मी के नेता को गिरफ्तार कर लिया गया. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दलितों के सवालों को लेकर यूपी प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने वाले बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी की गई. पुलिस ने घुस कर प्रोफेसर रमेश दीक्षित, पूर्वपुलिस अधिकारी एस.आर.दारापुरी, रामकुमार, आषीश अवस्थी, पी एस कुरील को गिरफ्तार कर लिया है. यह लोकतंन्त्र के मुँह पर कालिख है और इसका हर स्तर पर विरोध किया जाना चाहिए. यह संवाददाता सम्मेलन गुजरात से आ रहे कुछ दलित कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में किया गया था. कुशीनगर में मूसहर दलित समुदाय के लोगों को योगी के आगमन से पहले साबुन दिए जाने के अपमानजनक कदम के विरोध में गुजरात के ये दलित कार्यकर्ता 125 किलो का साबुन योगी आदित्यनाथ को भेंट करना चाहते थे. इसके पूर्व आइसा नेताओं पर भी यूपी में बर्बर तरीके से दमन ढाया गया था और लोकतांत्रिक प्रतिवाद करने पर कई छात्र नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था.
उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ और जीरा भारती के हमलावरों की SC/ST (Prevention of Atrocities) Act और  Criminal Law (Amendment) Act 2013 वाली धाराओं के तहत तत्काल गिरफ़्तारी की मांग के साथ आगामी 6-7 जुलाई को ऐपवा द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवाद किया जाएगा.



रति राव, अध्यक्ष, ऐपवा                  मीना तिवारी, महासचिव, ऐपवा





कविता कृष्णन, सचिव, ऐपवा


 

Comments

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