अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की रिपोर्ट

रांची में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 

समानता और बेख़ौफ़ आज़ादी के नारों के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की 103वीं वर्षगांठ पर दुनिया की तमाम संघर्षषील और आंदोलनकारी महिलाओं की शहादत को याद करते हुए रांची में ऐपवा ने रैली निकाली और सभा का आयोजन किया। रैली पार्टी कार्यालय से होते हुए एलबर्ट एक्का चैक तक पहुंची जहां वह सभा में तब्दील हो गई। ‘हमें चाहिए बेखौफ आजादी‘ ‘वर्मा आयोग की सिफारिशो को ईमानदारी से लागू करो' ‘मजदूर और घरेलू कामगारिनों की सम्मान और उचित पारिश्रमिक की गारंटी करो' ‘झारखंड में महिला नीति अविलंब बनाओ‘ ‘महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी करनी होगी‘ ‘ बलात्कार और तेजाब हमले के खिलाफ कड़ा कानून बनाओ‘ आदि नारों और मांगो के साथ जहां रैली निकाली गई वहीं नारीवादी गीत ‘दुनिया के नक्शे पर चमका है नया सितारा, आधी जमीं हमारी आधा आसमां हमारा‘ के साथ ही सभा की शुरूआत की गई। ऐपवा राज्य सचिव सुनीता, राज्याध्यक्ष गुनी उरांव, रांची जिला सह अध्यक्ष शांति सेन, जसम झारखंड संयोजक अनिल अंशुमन ने सभा को संबोधित किया। सभा का संचालन ऐपवा रांची जिला सचिव सरोजिनी बिष्ट ने किया। जसम प्रेरणा टीम की संयोजक और ऐपवा नेत्री सोनी तिरिया ने नारीवादी गीतों के जरिए सभा को और जीवंत बना दिया जिसमें उनका साथ अनिल अंशुमन ने भी दिया। 

सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा राज्य सचिव सुनीता ने कहा कि केंद्र में बैठी यूपीए सरकार भले ही यह प्रदर्शित करे कि वे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है लेकिन सरकार कितनी गंभीर है इससे ही पता चल जाता है कि जस्टिस वर्मा कमेटी की महत्वपूर्ण सिफारिशों को किस तरह उसने नजरअंदाज कर हम महिलाओं और आंदोलनकारियों के साथ धोखा किया है। उन्होनें कहा कि आज भले ही राज्य में सरकार नाम की चीज़ न हो लेकिन आज 8 मार्च के दिन वे राजनैतिक दल भी जोर-शोर से महिला दिवस मना रहे हैं और महिलाओं की हक की बात कर रहें जो अब तक सरकार के घटक दल थे और जब सत्ता उनके हाथ में थी तो महिलाओं के लिए कुछ नहीं कर पाए। ऐपवा रज्याध्यक्ष गुनी उरांव ने झारखंड के संदर्भ में महिलाओं के संघर्ष और शहादत को याद कर कहा कि हमारा राज्य महिलाओं के बलिदान पर भी बना है लेकिन आज उन्ही बलिदानियों की संतानें रोटी रोजगार के लिए महानगरों में पलायन कर रही है। उन्होनें कहा कि हमारी बेटियां खुलेआम बिकती रही और हमारी 12 सालों की राज्य सरकारें उनकों रोटी रोजगार और सुरक्षा देने में नाकाम रहीं। 

अपनी बात रखते हुए ऐपवा रांची जिला सहाध्यक्ष शांति सेन ने कहा कि जब तक महिलाएं संगठित होकर अपने अधिकारों की लड़ाई नहीं लड़ेंगी तब तक उनको कदम कदम पर पीछे धकेलने की कोशिश की जाती रहेगी। जसम संयोजक अनिल अंशुमन ने महिलाओं से आह्वान किया कि वे आंदोलन और शहादत के इस दिन को यानी 8 मार्च को अपना संकल्प का दिन घोषित कर दें और राज्य दमन के खि़लाफ एवम् बराबरी और बेख़ौफ़ आज़ादी के लिए अपने संघर्ष को तेज करें। उन्होने कहा कि जब तक हमारी देश की महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगी तब तक देश की तरक्की के सारे दावे झूठे साबित होंगे। सभा के अंत में रांची जिला सचिव सरोजिनी बिष्ट ने कहा कि एक ऐसे मुल्क़ द्वारा हमारी जुझारू बेटी निर्भया को दिया गया बहादुरी पुरस्कार ‘इंटरनेशनल वूमेन आफ करेज‘ की हम इसलिए आलोचना करते हैं क्योंकि यह वही देश है अमेरिका जिसने दुनिया में सबसे ज्यादा मानवाधिकारों का हनन किया है, अपनी साम्राज्यवादी नीतियों की बदौलत दुनिया के देशों में कत्लेआम किया है जिसमें सैकड़ों बेगुनाहों का खून बहा है और मौत के घाट उतरने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं।कार्यक्रम में सिनगी खलखो, लालो देवी, संगीता, मनीषा मुंडा, सुनीता देवी, सुगन देवी, एजरेन मिंज, नीलम टोप्पो, सीता कुमारी, निवेदिता सेन आदि ने भाग लिया।

जिला सचिव, ऐपवा, रांची सरोजिनी बिष्ट द्वारा जारी

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