उप्र के बांदा जनपद के करछा गांव में युवक युवती की बर्बर हत्या के खिलाफ ज्ञापन
उत्तर प्रदेश में महिला संगठनों ने बंदा जनपद के करछा गाँव में युवक- युवती की हत्या के खिलाफ राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा:
उत्तर प्रदेश के महिला संगठनों के प्रतिनिधि बांदा के गांव में युवक और युवती की नृशंस हत्या से बहुत विचलित हैं। हम कहना चाहते हैं कि बांदा में युवक और नाबालिग युवती को यातना देकर दिनदहाड़े जलाए जाने की अमानुषिक घटना सभ्य समाज के लिए कलंक है और पितृसत्ता की बर्बरता का घृणित नमूना है। इसने भाजपा राज में क़ानून व्यवस्था की कलई खोल कर रख दिया है, जाहिर है कानून के राज का खौफ खत्म हो गया है ।
मीडिया में छपी खबरों के अनुसार इस स्वजातीय युवक-युवती के बीच प्रेम-संबंध था और वे शादी करने वाले थे, लेकिन जहरीले पितृसत्तात्मक विचारों के शिकार परिवारीजनों को यह नितांत स्वाभाविक मानवीय सम्बन्ध भी स्वीकार नहीं हुआ और उन्होंने इनकी नृशंसतापूर्वक हत्या कर दिया। हमारे समाज में पहले से मौजूद पितृसत्तात्मक वर्चस्व को हाल के वर्षों में RSS की महिला विरोधी, विचारधारा ने महिमामंडित करके पूरे वातावरण को और भी विषाक्त बना दिया है तथा ऐसा अपराध करने वालों को नैतिक बल, वैधता और तर्क मुहैया कराया है।
महोदया, महिला संगठनों की पिछले कई सालों से "इज्जत के नाम पर हत्या" के खिलाफ एक अलग कानून की मांग रही है किन्तु सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है । इस संबंध में कानून का एक ड्राफ्ट भी महिला संगठनों के द्वारा ला कमीशन को 2015 में दिया गया था । हमें बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारें इस मुद्दे पर गंभीर हैं बल्कि कहीं न कहीं हमारे समाज की पितृसत्तात्मक सोच ही पूरी व्यवस्था पर हावी है । हमारा अनुभव रहा है कि प्रेमी जोड़ों के साथ पुलिस अपराधियों जैसा बर्ताव करती है , उन्हें सरकार द्वारा भी किसी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलता और वे अमानवीय स्थितियों का सामना करते हुए इसी प्रकार नृशंसता का शिकार हो जाते हैं । आज जिस प्रकार प्रगतिशील मूल्यों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है उसमें इन मासूमों की हत्या पर समाज अपनी मौन स्वीकृति देते हुए चुप्पी साध लेता है ।
हम इन अपराधियो को कठोर सजा दिलाने के साथ ही, योगीराज में क़ानूनव्यवस्था के ध्वंस के खिलाफ तथा RSS पोषित पितृसत्ता की बर्बरता के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
1-हम केंद्रीय कानून के साथ, उप्र में " इज्जत के नाम पर हो रही हत्याओं " के खिलाफ एक अलग कानून की मांग करते हैं जैसे राजस्थान सरकार ने बनाया है।
2,-हम यह भी मांग करते हैं कि प्रदेश में सरकारी शेल्टर होम बनाये जायें जहां अपनी पसंद से विवाह करने वालों को संरक्षण मिले और उनके संवैधानिक अधिकार की रक्षा हो ।
3-पुलिस का कानून सम्मत व्यवहार करना सुनिश्चित हो न कि वह अपनी पितृसत्तात्मक सोच से संचालित हो ।
4- हम मांग करते है कि प्रेम विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रचार माध्यमों के द्वारा लोगों को जागरूक करे तथा प्रोत्साहित करें।
5-मृतक के परिवार को सरकार समुचित आर्थिक मदद सुनिश्चित कराए।
6-जिंदगी मौत से जूझ रही पीड़िता के इलाज की अच्छी व्यवस्था की जाय।
कृष्णा अधिकारी, मीना सिंह - अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोशिएशन (ऐपवा) उत्तर प्रदेश
आशा मिश्रा , कांति मिश्रा - महिला फेडरेशन उत्तर प्रदेश
सुमन सिंह, मधु गर्ग - एडवा AIDWA उप्र
अरुंधती धुरु - NAPM
Comments
Post a Comment