दिल्ली में नफ़रत की हार, शिक्षा स्वास्थ्य और शाहीन बाग की जीत हुई हैं
ऐपवा नेता कविता कृष्ण कृष्णन ने किया घंटाघर और उजरियांव की औरतों का समर्थन।
UP पुलिस को लगाई फटकार भाकपा माले के केन्द्रीय कमेटी के साथ मनीष शर्मा, रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब, और सदफ जफर आदि पर फर्जी मुकदमे वापस लो।
आज 11/02/2020 को ऐपवा राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने लखनऊ में घंटाघर पर चल रहे NRC NPR CAA विरोध में आकर अपना समर्थन दिया।
कविता कृष्णन ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में नफरत की हार, शिक्षा, स्वास्थ्य और शाहीन बाग की जीत हुई है और UP के मुख्यमंत्री का दिल्ली में "गोली मारो" वाला प्रचार फेल हुआ है।
यहां UP में लोग कह रहे हैं - यहां स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्चा क्यों नहीं, UP में नफरत से तो पेट भर नहीं रहा।
AAP की सरकार से मांग है कि वह तुरंत NPR पर रोक लगाने वाला प्रावधान लाएं और केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं कि वह CAA NPR NRC वापस लें, और शाहीन बाग की और पूरे देश की आंदोलनकारी महिलाओं से बात करें। NPR NRC CAA से मुस्लिम ही नहीं, गैर मुस्लिम लोगों को भी खतरा है. NPR के तहत सरकारी बाबू या तहसीलदार किसी को भी संदिग्ध नागरिक घोषित कर सकता है। इससे भारी भ्रष्टाचार की जगह बनेगी, और सरकार के पास सत्ता होगी कि वह सरकार से सवाल करने वाले, अपने अधिकार मांगने वाले किसी को भी वोटर लिस्ट से संदिग्ध कह कर हटा सकती है, या हटाने की धमकी से उन्हें खामोश कर सकती है. दिल्ली के चुनाव परिणाम से यह पता लगता है कि देश के लोग चाहते हैं कि सरकारें शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च करें, लाखों करोड़ों रुपये NPR NRC और डीटेंशन सेंटर पर बर्बाद करें।"
कविता ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि शाहीन बाग ने रास्ता क्यों बंद कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही पूछ लिया है लेकिन शाहीन बाग की महिलाओं ने आगे के खतरे को पहचान लिया है और मुँह बाएं खड़े खाई को देख लिया और हमारे रास्ते को बहादुरी से रोक रही हैं ताकि हम खाई में न गिरें!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोग प्रदर्शन में बच्चों को न लाएं पर महिला मज़दूर जब रोज बच्चों को खेतों खलिहानों में ले जाती हैं तब सुप्रीम कोर्ट चुप क्यों? महिलाएं काम पर जाएं चाहे प्रदर्शन पर, बच्चों को साथ न लाएं तब कहाँ छोड़ेंगी?
आजकल बच्चों को स्कूलों में, समाज में, घरों में धर्म के आधार पर नफरत करना सिखाया जा रहा है. हिन्दू बच्चों को अपने बड़ों द्वारा, खास कर TV पर मुख्यमंत्री प्रधान मंत्री गृह मंत्री द्वारा सिखाया जाता है कि मुस्लिम बच्चे को पाकिस्तानी कहें. ये बच्चे अगर शाहीन बागों में आयें तो वे संवैधानिक मूल्य सीख सकते हैं, नफ़रत के नशे से मुक्त हो सकते हैं. दिल्ली में गार्गी कॉलेज की छात्राओं के पर्व पर CAA के पक्ष में प्रदर्शन कार्य हुए एक गुंडों की टोली ने हमला किया. छात्राओं पर यौन हिंसा किया. दिल्ली पुलिस ने ईन हमलावरों पर एक लाठी तक नहिं चलाया, 5 दिन बाद किसी की गिरफ्तारी नहीं की. उसी तरह दिल्ली पुलिस ने JNU के छात्रों शिक्षकों पर बर्बर हमला करने वाले ABVP के लोगों की गिरफ्तारी एक महीने बाद भी नहीं की है. वहीं दिल्ली पुलिस खुद जामिया के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर हमला करती है, आंख फोड देती है, छात्राओं पर यौन हिंसा करती है. यही है भाजपा के बेटी बचाओ की सच्चाई.
UP पुलिस - दंगाई भीड़ की तरह आज भी भाकपा माले के मनीष शर्मा, रिहाई मंच के मोहम्मद शोएब नाहिद अकील और सदफ जफर आदि पर मुकदमे लगाएं जा रही है
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