महिलाओं के हक के लिए संघर्ष तेज करें ! शांति और एकता तोड़ने वाली ताकतों को विफल करें !!

महिलाओं के हक के लिए संघर्ष तेज करें! 
शांति और एकता तोड़ने वाली ताकतों को विफल करें!  

पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि!
सैनिकों की शहादत पर वोटों की खेती का विरोध करें!  

प्यारी बहनो और देशवासियो,
8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। अप्रैल-मई महीने में देश में आम चुनाव भी हैं। ऐसे में महिलाओं को अपने अधिकारों की दावेदारी  को बुलंद करने का यह समय है। 

हाल में पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए हम सब और पूरा देश आज शोकाकुल है पर ऐसे समय में भी संघ परिवार की ताकतें इस शोक और रोष के चुनावी इस्तेमाल की कोशिशों में लगी हैं। ये लोग ‘बदले’ की माँग के नाम पर ‘हिंदू-मुस्लिम’ में देश को बाँटने में लगे हैं, जगह जगह अल्पसंख्यकों और कश्मीरी लोगों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने की कोशिशों में लगे हैं।

ये नहीं चाहते की मोदी सरकार से कोई सवाल हो की आखिर क्यों जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार की नीतियों के चलते आतंकवाद की घटनाएँ पिछले चार साल में 177% बढ़ गयीं? ऐसा क्यों है कि कश्मीर में 2013 में सिर्फ़ 6 लोकल लड़के आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए और 2018 में ये संख्या 200 तक पहुँच गयी है? क्या ये सच नहीं की मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एन एस ए) अजित दोवाल ने आतंकी संगठन के सरगना को छुड़वाया था? इस बार भी सरकार को खुफिया तंत्र ने ऐसे हमले की पूर्व सूचना दी थी फिर भी इसे क्यों नहीं रोका गया? खुद दोवाल का एक बेटा जब पाकिस्तान और सउदी अरब में अपना बिज़नस फैलाने में लगा हुआ है तब दूसरों के बेटों की शहादत के दम पर खुद को देशप्रेमी कहने वाले और नफरत की खेती करने वाले लोग मोदी जी से उनके NSA दोवाल पर सवाल क्यों नहीं करते, जिनकी नीतियों के चलते कश्मीर में हालात इतने बिगड़ गए और हमारे सैनिकों को जान गंवानी पड़ी? 

ऐसे सवालों से बचने और चुनाव के लिए शहादतों का इस्तेमाल करने के लिए संघ और भाजपा के लोग देश को और भी असुरक्षित बना रहे हैं क्योंकि नफरत और दंगे हमारी एकता को कमजोर करते हैं और हमारे दुश्मनों को और मौका देते हैं।                             

ऐसे में शहीद परिवारों के लोगों की बातें सुनना जरूरी है। 
पश्चिम बंगाल के शहीद जवान बबलू संतरा की पत्नी मीता और माँ बनमाला ने कहा, “हम न्याय चाहते हैं, युद्ध नहीं। युद्ध में हमारी जैसी महिलाएँ अपने पतियों और बेटों को खो देंगी।” 

उन्नाव के शहीद अजित कुमार के भाई रणजीत ने कहा, “जब हम सब मिलकर इतने बड़े दुःख को बाँट सकते हैं तो पार्टियाँ हमें क्यों बाँटती हैं? कुछ हासिल करना है तो एकजुट होना होगा।” एकजुटता के बजाय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तो शहादत और शोक के इस मौके पर भी राजनीतिक बंटवारे को ही बढ़ावा दिया और कहा“सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं क्योंकि अब सत्ता में कांग्रेस नहीं भाजपा है " ये बयान क्या शर्मनाक नहीं? शहीद अजित के भाई रणजीत ने ये भी कहा “जितना काम पर खर्च होता है उससे ज्यादा प्रचार पर खर्च क्यों होता है? आज मुझे एक शवयात्रा में भी राजनीति देखने को मिली।" हम समझ सकते हैं कि एक शहीद सैनिक की शवयात्रा में भाजपा सांसद साक्षी महाराज को मुस्कुराते हुए और हाथ हिलाते हुए देख कर शहीद परिवारों को कितनी पीड़ा हो रही है!

पुलवामा हमले जैसे हमले न हों, इसके लिए नीतिगत बदलाव की जरूरत है। उड़ी और पठानकोट हमलों के बाद भी बदले और पाकिस्तान से युद्ध आदि की बातें हुईं लेकिन इससे हमले रुके नहीं। हमलों को रोकने के लिए कश्मीर मसले के राजनीतिक समाधान की जरूरत है मुस्लिम या कश्मीरी भाई बहनों के खिलाफ अविश्वास, घृणा या उन्माद भड़काने की नहीं। पुलवामा की घटना के बाद हमलोग यह भी देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री तो जगह-जगह योजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं और नीचे गांव-शहर में इनके लोग उन्मादी जुलूस निकाल रहे हैं और कुछ टीवी चैनल घृणा फैला रहे हैं. हमें इनकी इस दोहरी चाल को समझना होगा।

पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने किसान, मजदूर, छात्र-नौजवान, महिला, दलित-गरीब, स्कीम वर्कर सबको  छला है और सिर्फ कुछ मुठ्ठी भर पूंजीपतियों के हित में खड़ी रही है. इसलिए ये सभी लोग सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।यह सरकार 'बहुत हुआ नारी पर वार..'का नारा देकर सत्ता में आई थी लेकिन कठुआ, उन्नाव, मुजफ्फरपुर, देवरिया.. हर जगह नारी पर वार करने वालों को बचाने में लगी रही।मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में तो 40 से अधिक लड़कियों के बलात्कारियों को बचाने के लिए सीबीआई के जांच अधिकारी को ही बदल दिया।क्या ये लड़कियां हमारे देश की बेटियां नहीं हैं? बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में सरकारी आंकड़े बताते हैं कि फंड का 56% हिस्सा प्रचार पर खर्च कर दिया गया बाकी राशि भी राज्यों को बहुत कम भेजी गई।उज्ज्वला योजना का ढिंढोरा पीटा गया लेकिन रसोई गैस इतना मंहगा कर दिया गया है कि गरीबों के लिए दुबारा गैस भरवाना असम्भव हो रहा है। खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं।

बेरोजगारी आज चरम पर है लेकिन युवा लड़के-लड़कियों को रोजगार देने के बदले मोदी जी अंबानी-अडाणी जैसे अपने दोस्तों के लिए पिछले पांच साल दुनिया भर में घूमते रहे हैं। अपने देश में शबरीमला में हिंदू महिलाओं को मंदिर प्रवेश का अधिकार जब सुप्रीम कोर्ट देता है तब प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष दोनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुरातनपंथी ताकतों को भड़काते हैं लेकिन मुस्लिम महिलाओं के झूठे हितैषी बनकर संसद की अवहेलना करके तीसरी बार तीन तलाक पर अध्यादेश जारी कर देते हैं!

बहनों, 8 मार्च का इतिहास हमें सिखाता है कि दुनिया भर में शासक जब अपने फायदे के लिए हमारे ही बेटे-भाई सैनिकों को युद्ध में झोंक देते हैं और आवेश व उन्माद का माहौल बनाकर हमारी रोजीरोटी के सवाल को ढंक देना चाहते हैं तब हम महिलाएं ही हैं जो बिना डरे इनके सच को सामने लाने की हिम्मत रखती हैं। इसलिए आइए, हम खुलकर कहें कि पुलवामा की घटना में हमें न्याय चाहिए लेकिन यह नफरत और उत्पात से नहीं मिलेगा।हम महिलाएं आम लोगों से भी अपील करती हैं कि दुख की इस घड़ी में आवेश से नहीं शांति और धैर्य से सोचें। आतंकवाद एक गंभीर समस्या है। इसके राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय, राजनीतिक, सामाजिक कारणों की पड़ताल कर सरकार को सही कदम उठाने के लिए बाध्य करें।
       
निवेदिका
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा)

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