6th State Conference of UP AIPWA, 29/09/2012
सरकारों के महिला विरोधी रुख के खिलाफ प्रदेश स्तरीय विशाल रैली ऐपवा ने अपने 6ठे राज्य सम्मेलन की शुरुआत प्रदेश में बढ़ते महिला उत्पीड़न के खिलाफ और केंद्र और राज्य में बैठी सरकारों के महिला विरोधी नीतियों के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार करते हुए एक रैली के रुप में की। यह रैली वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से सम्मेलन स्थल नगर -नगम हॉल, सिगरा तक निकाली गई। रैली में 16 जिलों से 500 से अधिक ऐपवा की महिलाओं ने हिस्सा लिया। रैली का नेतृत्व ऐपवा की राष्ट्रीय महिसचिव मीना तिवारी ने किया। रैली में महिलाओं का केंद्रीय नारा था- नहीं सहेंगे भेदभाव हिंसा और अपमान, लड़कर लेंगे आजादी रोजगार और सम्मान। रैली के समापन के पश्चात नगर-निगम हॉल सिगरा में आयोजित उदघाटन सत्र में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि महिलाओं के बुनियादी सवालों पर भले ही राज्य व केंद्र के बीच सत्ता का खेल चल रहा हो पर यह बात साफ है कि दोनों के बीच पितृसत्तात्मक एकता कायम है। यह व्यवस्थाएं महिलाओं को न्याय दिलाने, उनकी हिफाजत करने और उन्हें रोजगार दिलाने के संबंध में अक्षम सबित हुई हैं इसलिये औरतों केा अपनी आजादी, रोजगार और सुरक्षा के अधिकार के लिये एकजुट होकर लड़ना होगा और एक वैकल्पिक महिला आंदोलन खड़ा करना होगा। इस सत्र में बीएचयू से डा. कुमुद रंजंन ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां महिला विरोधी हैं, हाल ही में विदेशी खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष पूंजी निवेश के अनुमति देने से सबसे बुरा प्रभाव महिलाओं पर पड़ेगा- कुटीर उद्योग, लघु उद्योगों में लिप्त लाखेां महिलाओं और उनका परिवार संकट में पड़ जायेगा। अपने अध्यक्षीय भाषण में खेत मजदूर संगठन की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में महिला उत्पीड़न में तेजी से वृद्धि हुई है। सपा की सरकार में थाने के अंदर महिलाओं के साथ बलात्कार होता है तो ऐसे दोषी पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा दिलाने के नाम पर बस उनका निलंबन होता है- यह किसी समाज को शर्मसार कर देने वाले उदाहरण है। उदघाटन सत्र में प्रो. शाहिना रिजवी, विजन संस्था से जागृति रही, डा. मधु कुशवाहा, मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन ऐपवा की प्रदेश सहसचिव कुसुम वर्मा ने किया। सम्मेलन में 500 से अधिक महिला प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। 41 सदस्यीय काउंसिल और 15 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया गया। अहमदी बेगम, जगदम्बा, आरती राय एवं कृपा वर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष और का. ताहिरा हसन को प्रदेश अध्यक्ष और का. गीता पांडे को प्रदेश सचिव बनाया गया। झारखंड से ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव का. सुनीता पर्यवेक्षक के बतौर मौजूद थी। सम्मेलन के अंत में 11 सूत्रीय मांगपत्र प्रस्तुत किये गये। यह प्रास्तव संक्षेप में महिलाओं के लिये विषेष अदालतों के गठन पर, राज्य महिला आयोग के पुर्नगठन पर, खाप पंचायतों के असंबैधानिक फरमानों पर पाबंदी लगाने, लोकसभा और विधान सभा में 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने, एफडीआई समेत अन्य महिला विरोधी, मजदूरी विरोधी आर्थिक नीतियों पर पाबंदी लगाने, आशा-आंगनबाड़ी समेत सभी पैरावर्कस के नियमतिकरण, लड़कियों की स्नातक तक की पढ़ाई को मुफत करने, मनरेगा में महिला के नाम से जॉब कार्ड देने, जहरीली और अवैध शराब के ठेके पर पाबंदी लगाने, मजदूर महिलाओं को पुरुषों के बराबर मजदूरी देने और दहेज विरोधी कानून 498-ए में कोई भी तब्दीली न करने संबंधी थे। (प्रस्तुति- कुसुम वर्मा,प्रदेश सह-सचिव एपवा)
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Com. Meena Tiwari
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March
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March
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